NPR में पूछा जायेगा कब और कहां पैदा हुए थे माता-पिता इस बार जुड़े ये 8 नए सवाल

नई दिल्ली
नैशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (NPR) को अपडेट करने को केंद्रीय कैबिनेट से हरी झंडी मिलने को विपक्ष एनआरसी (नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस) से जोड़कर देख रहा है। एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने तो एनपीआर को गुप्त रूप से एनआरसी लागू करने की कवायद बताया है। इसके बाद खुद गृह मंत्री अमित शाह को सफाई देनी पड़ी कि एनपीआर का एनआरसी से दूर तलक कोई संबंध नहीं है। हालांकि, एनपीआर प्रक्रिया को जिस नियम के तहत नोटिफाई किया गया है, उसके शीर्षक में ही NRIC (नैशनल रजिस्टर ऑफ इंडियन सिटिजंस) का जिक्र है। इससे साफ है कि अगर सरकार एनपीआर को एनआरसी से पूरी तरह अलग करना है तो सरकार को नियमों में बदलाव करना पड़ेगा।
एनपीआर और एनआरसी को एक दूसरे से अलग करने के लिए सरकार को करना पड़ेगा नियमों में बदलाव
नैशनल पॉपुलेशन रजिस्टर की प्रक्रिया को जिस नियम के तहत नोटिफाई किया गया है उसके शीर्षक में NRIC का जिक्र
2003 के सिटिजनशिप रूल्स में पॉपुलेशन रजिस्टर में दर्ज ब्यौरे के वेरिफिकेशन की बात कही गई है
विपक्ष ने एनपीआर को एनसआरसी की दिशा में उठाया कदम बताने के बाद गृह मंत्री शाह ने दी है सफाई- दोनों में कोई संबंध नहीं
अगर सरकार एनपीआर को एनआरसी से अलग करना चाहती है तो उसे 2003 के सिटिजनशिप रूल्स को बदलना पड़ेगा जिसमें पॉपुलेशन रजिस्टर में दर्ज ब्यौरे के वेरिफिकेशन की बात कही गई है। पिछली यूपीए सरकार ने 2010 में एनपीआर को तैयार करने में 2003 के नियमों को आंशिक तौर पर लागू किया था। 2005 में तत्कालीन यूपीए सरकार ने एनआरसी के नियमों को बनाया था जिसे नागरिकों का रजिस्टर तैयार करने के सरकार के इरादे के संकेत के रूप में देखा गया। हालांकि, तब प्रक्रिया को शुरू ही नहीं किया गया। दूसरी तरफ, एनडीए सरकार आने के बाद 2015 में एनपीआर को अपडेट किया गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने भारत की जनगणना-2021 की प्रक्रिया शुरू करने और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को अपडेट करने को मंजूरी दे दी है. एनपीआर अपडेशन में असम को छोड़कर देश की बाकी आबादी को शामिल किया जाएगा. नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) पर चल रहे घमासान के बीच एनपीआर की प्रक्रिया को मंजूरी ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है. विपक्षी दलों की तरफ से एनपीआर को एनआरसी की दिशा में पहला कदम बताया जा रहा है. हालांकि, सरकार ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि एनपीआर और एनआरसी का आपस में कोई लेना-देना नहीं है और न ही इससे किसी की नागरिकता को कोई खतरा है.
राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) पहली बार 2010 में तैयार किया गया था. इसके दो प्रमुख उद्देश्य बताए गए थे. पहला- देश के सभी निवासियों के व्यक्तिगत ब्योरे का इकट्ठा करना. दूसरा-ग्रामीण और नगरीय क्षेत्र के 15 साल और इससे ज्यादा उम्र के सभी निवासियों के फोटोग्राफ और अंगुलियों की छाप लेना. 2010 के इस राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को बनाने के लिए 15 बिंदुओं पर डेटा इकट्ठा किया गया था.
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अब AIMIM के अध्यक्ष असद्दुदीन ओवैसी का आरोप है कि NPR बनाना NRC की तैयारी का पहला क़दम है. ओवैसी ने अपनी बात रखने के लिए पांच ट्वीट करते हुए कहा है कि NPR भारतीय नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर की ओर पहला क़दम है जो राष्ट्रव्यापी NRC का ही दूसरा नाम है. उनके मुताबिक NPR भारत में रहने वाले सभी 'सामान्य निवासियों' का इकट्ठा किया आंकड़ा है. 2003 के नागरिकता नियमों के मुताबिक, नागरिकों को गैर नागरिकों से अलग करने के बाद भारतीय नागरिकों का राष्ट्रीय रजिस्टर पेश किया जाना है
दरअसल अमित शाह के दावों से उलट मोदी सरकार के मंत्री पिछले करीब साढ़े पांच साल में संसद में दिए गए बयानों में नौ बार एनपीआर और एनआरसी को लिंक कर चुके हैं. यह अहम है कि 23 जुलाई 2014 को तत्कालीन गृह राज्यमंत्री किरण रिजीजू ने राज्यसभा में लिखित जवाब में साफ शब्दों में कहा था कि सरकार ने सभी व्यक्तियों के नागरिकता स्टेटस को वेरिफाई करके NPR स्कीम के तहत जो जानकारी इकट्ठी की है उसके आधार पर एक नेशनल रजिस्टर ऑफ इंडियन सिटिज़न्स तैयार करने का फैसला किया है.
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